Wednesday, May 20, 2015

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open letter to the prime minister Mr Modi(HINDI)


सेवा में,
प्रधान मंत्री महोदय
भारत सरकार, नई दिल्ली।
विषय : एमेन्डेट एम्स एक्ट - २०१२ (संशोधित एम्स एक्ट - २०१२) के तहत काशी हिन्दू विश्व विद्यालय (बी. एच. यू.) में ‘एम्स’ बनवाने के सम्बन्ध में सुझाव।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि बनारस दुनिया में सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक है,जिसको हम इस देश की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जानते हैं।इस देश में आने वाले ज्यादातर प्रयटक एक बार यहाँ जरूर आना चाहते हैं।जब से आपने इसको अपने संसदीय क्षेत्र के तौर पर चुना है इस शहर की आभा में चार चंद लग गया है और यहाँ पर आने वाले अतिविशिष्ट सैलानियों की संख्या और भी बढ़ गयी है।यह अत्यंत ही चिंतन का विषय है कि भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने क्यों अपने जन्मस्थल इलाहाबाद को छोड़कर कर्मभूमि के तौर पर काशी को चुना था।काशी अनादिकाल से ही चिकित्सा जगत के जनक के तौर पर इतिहास के पन्नों में दर्ज है।ये वो जगह है जहां पर पूरी दुनिया में पहली बार भगवन धनवंतरी द्वारा चिकित्सा जगत का अविष्कार किया गया था, जिसको की आगे चलकर महर्षि देवदास ,सुश्रुत तथा चरक ने आगे बढाया ।
काशी ही वो नगरी है जहाँ पर शल्य चिकित्सा तथा प्लास्टिक सर्जरी का अविष्कार किया गया था। वर्तमान सरकार काशी को ‘वल्र्ड हेरिटेज सिटी’तथा क्योटो शहर के तरह विकसित करना चाहती है जिसके लिए जापान के साथ कई
समझौता भी किये गए हैं। ये कलकत्ता और दिल्ली के मध्य में स्थित एक ऐसा शहर है जिससे मध्य प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बिहार, पूर्वांचल, दक्षिणांचल तथा नेपाल सभी लगभग समानान्तर दूरी पर स्थित हैं और जो चारो तरफ से सड़क मार्ग, रेलमार्ग तथा हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। पिछले वित्तीय वर्ष में दो हजार करोड़ से भी ज्यादा धनराशि प्रयाग से हल्दिया वाया वाराणसी को जल मार्ग से जोड़ने के लिए दिया गया था जिसकी अब शुरुआत भी होने वाली है।
महोदय काशी को अगर पुरे दुनियां के सुंदरतम शहरों में विकशित करना है तो यहाँ की स्वास्थ सेवाओं को भी सर्वोत्तम बनाने की अत्यंत ही आवश्यकता है। वर्तमान में सर सुन्दर लाल चिकित्सालय (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) वाराणसी ही एक मात्र ऐसा सर्वोच्च अस्पताल यहाँ मौजूद है, जो इस क्षेत्र के लगभग २५ करोड़ गरीब तथा अति गरीब जनता के लिये स्वास्थ्य का एकमात्र जरिया है। हर वर्ष लगभग १0 से 15 लाख बीमार मरीज इस अस्पताल में ईलाज कराने आते हैं,लेकिन दुःख की बात यह है कि यहाँ प्रयाप्त सुविधाएँ नहीं होने के कारण आज भी यहाँ से लोगों को अतिविशिष्ठ इलाज के लिए लखनऊ,दिल्ली,तथा मुम्बई जैसे शहरों का रुख करना पड़ता है। इस अस्पताल की हालत बहुत ही खराब है और आज यह ‘प्राईवेट नर्सिग होम’ में तब्दील होता जा रहा है। इसका कारण है इस अस्पताल का सालाना बजट जोकि मात्र १२ करोड़ रूपया है जो शिक्षा, अन्वेषण तथा सेवा तीनों कार्यों के लिए कत्तई समुचित नहीं है।इसके ठीक उलट दिल्ली स्थित ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ का सालाना बजट लगभग ११३६ करोड़ रूपये है। इसकी मुख्य वजह यह है कि बी0 एच 0 यू 0 को अनुदान यू0 जी0 सी0 (जिसके अन्दर लाखों कॉलेज आते हैं) जबकि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संसथान, स्वास्थ मंत्रालय के अन्दर आता है जिसके पास कम कॉलेज है पर अनुदान ज्यादा उपलब्ध है। इस कारण यहाँ पर इलाज के लिए आनेवाले लाखों गरीब मरीज समुचित ईलाज ना मिल पाने से अपनी जान को गंवा बैठते हैं।
अगर हम विश्व स्वास्थ्य संगठन की सर्वेक्षण रिपोर्ट २००८ को देखें तो पूरे दुनियां में लगभग १० करोड़ लोग प्रति वर्ष इसलिए गरीब हो जाते हैं क्योंकि वो या उनके परिवार के सदस्य किसी न किसी गम्भीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं।इससे यह साबित होता है की इस देश का समग्र विकाश तबतक संभव नहीं हो सकता जबतक की स्वास्थ को अहम् मुद्दा मानकर इसपर सकारात्मक पहल की जाये।परंतु महोदय हमारे देश के सिमित संसाधन कहीं न कहीं इस देश के समग्र विकाश में बाधक बन रहा है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर अगर सबसे पहले ऐसे काम किया जाये जिसमे कम से कम संसाधनों की जरुरत हो और जो जल्द से जल्द पूरा भी किया जा सके तो इससे सरकार की विश्वसनीयता जनता के बीच कायम हो सकेगी। ऐसा ही एक कार्य आपके संसदीय क्षेत्र में लम्बे समय से लंबित है, बी0 एच0 यू 0 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संसथान की स्थापना।
पिछले साल के बजट में वित्तमंत्री महोदय ने चार नये एम्स खोलने की घोषणा की थी, जिसमें से एक एम्स पूर्वांचल में खोला जाना था जिस दिशा में अभी तक जमीं पर कोई कार्य नहीं हो पाया हैI‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) एक ऐसा अस्पताल होता है जिसमें सभी तरह की बीमारियों का अतिविशिष्ट उपचार उपलब्ध होता है और इसके साथ - साथ वहां पर अच्छी पढ़ाई लिखाई और अन्वेषण की भी सुविधा उपलब्ध होती है। ऐसा अस्पताल किसी खास बीमारी की इलाज को ध्यान में रखकर नही खोला जाता(जैसा की कुछ लोग गोरखपुर के विषय में झूठी दलील दे रहे हैं) क्योंकि इससे एस देश के सिमित संसाधनों का दुरूपयोग होगा।अगर उपरोक्त बातों को ध्यान दिया जाये तो पूर्वांचल में काशी से बेहतर एम्स के लिए कोई विकल्प नहीं हो सकता।
अब सवाल उठता है कि ये एम्स काशी में कहां खुले ?
इसके लिए दो विकल्प सम्भव हो सकता है -
विकल्प नं. ( १ ): नया अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बी.एच.यू. के अलावा बनारस में कहीं और खोला जाय, जिसके निर्माण में सबसे बड़ी बाधा वहां इसके लिए भूमि का अधिग्रहण होगा(और जिससे कुछ लोग अपनी जमीन गवांकर फिर गरीब बन जायेंगे) और फिर उसके बाद लगभग दस से पन्द्रह वर्ष नए भवन निर्माण में लग सकता है।इतना ही नहीं इसमें कम से कम १० गुने धनराशि के खर्च होने की भी संभावना है। ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ के भवन निर्माण के तत्पश्चात सबसे बड़ी समस्या होगा, अच्छे तथा योग्य चिकित्सकों की तलाश, जिसके आभाव में 6 नव निर्मित एम्स सुचारू रूप से अपना कार्य नहीं कर पा रहे है जिस विषय पर अभी कुछ दिन पहले ही टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक संपादकीय भी छपा था।
दूसरा ये हो सकता है कि बीएचयू में कार्यरत अच्छे डॉक्टर तथा कर्मचारी बनारस हिन्दू यूर्निवर्सिटी (सर सुन्दर लाल चिकित्सालय) को छोड़कर नवनिर्मित आयुर्विज्ञान संस्थान में चले जायें,जिससे महामना के द्वारा बनाये गये शिक्षा के मंदिर का सर्वनाश हो जाये।
विकल्प नं. - २ :
बीएचयू में ही हो एम्स की स्थापना ।
इससे ना सिर्फ महामना के इस मंदिर की घूमिल होती गरिमा वापस होगी और इसका मान-सम्मान बढ़ेगा बल्कि ये पूरे देश का इकलौता ऐसा विश्व विद्यालय बन जायेगा जहां पर एम्स तथा आईआईटी दोनों ही संस्थान एक ही कैंपस में होने का भी गौरव प्राप्त होगा।
ज्ञात हो कि आईएमएस बीएचयू को वर्ष 2009 में एम्स के तरह विकसित करने के लिए ‘प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सेवा योजना’ के तहत १20 करोड़ रूपये दिए गए थे जिससे यहाँ ट्रामा सेंटर नाम की ईमारत खड़ी कर दी गयी है। महोदय, यह वही योजना है जिसके तहत छः नये एम्स बनाये गये है। यहां एक और अच्छी बात यह है कि ट्रामा सेन्टर काम्प्लेक्स,बीएचयू कैंपस के ठीक बगल में स्थित है , जिसको एक उपरगामी पुल बनाकर बहुत कम खर्च में आसानी से जोड़ा जा सकता है।
इसलिए हमारा सुझाव है कि
१. सरसुन्दर लाल चिकित्सालय , आईएमएस तथा नवनिर्मित ट्रामा सेन्टर परिसर को एक साथ जोड़कर नया अखिल भारतीय आयुविज्ञान संस्थान, बीएचयू (एम्स बीएचयू) बना दिया जाये, जो कि एक दो महीने में ही, कम से कम लागत में तैयार हो जायेगा ।नव निर्मित एम्स बी0 एच0 यू0 का अभिन्न अंग बना रहे इसके लिए एम्स एक्ट को थोडा संसोधित करके ये कार्य आसानी से किया जा सकता है।इस नवनिर्मित एम्स में बी0 एच 0 यू 0 के कुलपति को वही अधिकार दे दिए जाएँ जोकि आजके बी0एच0यू0 में उनके कुलाधिपति को प्राप्त है।इससे एम्स बी0एच0यू0 का पार्ट भी हो जायेगा और बी0एच0यू0 भी पहले से ज्यादा सुदृढ़ और बृहद हो जागेगा जिससे महामना का सपना साकार होगा और ये एम्स दिल्ली एम्स से भी बड़ा होगा क्योंकि यहाँ पर इंटर्डेपार्टमेंटल रिसर्च की सुविधा उपलब्ध होगी जो दिल्ली एम्स में आज संभव नहीं है।एक और अच्छी बात यह है कि यहाँ पर बना बनाया इन्फ्रास्ट्रक्चर ,अच्छे चिकित्सक व कर्मचारी सहित सभी आवश्यक मुलभुत सुविधाएं भी पहले से ही उपलब्ध है। इससे इस क्षेत्र की गरीब से गरीब जनता को तुरन्त ही अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो जायेंगी। मतलब पूर्वांचल के लोगों के लिए अच्छे दिन आ जायेंगे तथा भारतीय जनता पार्टी और भारत सरकार के लिए यह गौरव का विषय बनेगा।
२. दूसरी तरफ ट्रामा सेन्टर का निर्माण वहां होना चाहिये, जहां सबसे ज्यादा दुर्घटना घटित होने की सम्भावनायें होती हो अथवा यूं कह लीजिये कि ‘दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्रों की पहचान कर, वहां ट्रामा सेन्टर का निर्माण कराया जाना आवश्यक है। जैसे कि बनारस के बगल से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के आस-पास, जिससे कि दुर्घटना ग्रस्त लोगों को जल्द से जल्द स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध हो सके और जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान प्रति वर्ष बचाई जा सके।और काशी में 50 बेड का एक और ट्रामा सेंटर पंडित दीन दयाल अस्पताल में बनकर तैयार है यहाँ सेवा के लिए जबकि बी0 एच0 यू0 से प्रतिदिन विस्तार के आभाव में मरीजों को कबीर चौरा अस्पताल भेजा जाता है जिसको कतई सही नहीं माना जा सकता है।
३. जहां तक जनपद गोरखपुर का सवाल है, यह क्षेत्र एक कोने में स्थित शहर है, जहां पर सड़क, रेलमार्ग , हवाई मार्ग तथा जल मार्ग की समुचित सेवा उपलब्ध नहीं है तथा जो नेपाल, भूटान तथा तिब्बत के करीब है, और जहां पर एक या दो तरह की गम्भीर बीमारियां मुख्यतया पाईजाती हैं, जिसके लिये आवश्यक टीकाकरण तथा दिमागी बुखार के लिए रूरल रिसर्च सेन्टर की स्थापना करके तथा बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर को विशेष सुविधा प्रदान कर
वहां की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
भारतीय जनता पार्टी भारतवर्ष में मूल्यों तथा विचारों को बर्बाद होने से बचाने के लिये हमेशा से तत्पर रही है। इसीलिए हमारा माननीय प्रधानमंत्री महोदयजी आपसे विन्रम निवेदन यह है कि जिस तरह भगवान राम का मंदिर उसी जगह बनना चाहिये जहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था तो क्यों नहीं भगवान धन्वन्तरी,चरक, देवदास,तथा सुश्रुत का मंदिर यानि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान वहां ही बनाना चाहिये जहां पर चिकित्सा विज्ञान का अविष्कार हुआ था। ये ना सिर्फ भगवान धन्वन्तरी ,चरक तथा सुश्रुत को सम्मान देना होगा बल्कि महामना के आदर्शों और विचारों के साथ साथ हमारे संस्कृति का भी सम्मान होगा।

डॉ ओम शंकर,
असिस्टेंट प्रोफेसर,
डिपार्टमेंट ऑफ़ कार्डियोलॉजी,
का0 हि0 वि0 वि0,
वाराणसी।




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