वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ओमशंकर ने स्टिंग सीडी मीडिया को देने के लिए गुरूवार की दोपहर 12 बजे अपने आवास पर प्रेसवार्ता बुलाई लेकिन अपनी गलती छिपाने के लिए बीएचयू प्रशासन ने मीडिया से मिलने नही दिया। प्रेसवार्ता की सुचना विश्वविद्यालय प्रशासन को मिलते ही हंगामा मच गया। सच्चाई छिपाने के लिए विश्वविद्यालय ने सुरक्षाकर्मियो सहित आलाधिकारी उनके आवास पहुचकर डॉ. ओमशंकर को घर में अंदर ही नजरबन्द कर दिया। जब पत्रकार उनके आवास पहुचकर अंदर जाने लगे तो बीएचयू प्रशासन उनसे धक्कामुक्की की। बताते चले कि 13 माह पूर्व डॉ. ओमशंकर 15 दिन तक बीएचयू को एम्स का दर्जा दिलाने के लिए भूख हड़ताल किए थे। इसी दौरान उन्हें साजिश के तहत सस्पेंड करके जांच कमेटी बैठा दी गयी। इसके बाद उन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन किया, जिसमें जांच कमेटी के अध्यक्ष आरएन मिश्रा ने यह माना कि वह पूरे मामले में निर्दोष है। इतना ही नही आरएन मिश्रा ने यह भी कहा है कि उनके ऊपर डॉ. ओमशंकर को गलत ठहराने का दबाव है। कोर्ट ने पूरे मामले में बीएचयू प्रशासन को निर्देश जारी किया कि उन्हें जल्द से जल्द बहाल किया जाए। उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें बहाल नही किया गया है, मैं अपनी लड़ाई जारी रखूँगा क्योंकि यह लड़ाई जनता के हित की है। वही पूरे मामले में कुलपति पीआरओ राजेश सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि निलंबित डॉ. ओमशंकर ने किसी भी प्रेसवार्ता की अनुमति नही ली थी। वही चीफ प्रॉक्टर प्रो. सत्येंद्र सिंह ने मीडिया से कहा कि इस मामले में वह ज्यादा जल्दबाजी न करे तो ठीक रहेगा।
Wednesday, May 20, 2015
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वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ओमशंकर ने स्टिंग सीडी मीडिया को देने के लिए गुरूवार की दोपहर 12 बजे अपने आवास पर प्रेसवार्ता बुलाई लेकिन अपनी गलती छिपाने के लिए बीएचयू प्रशासन ने मीडिया से मिलने नही दिया। प्रेसवार्ता की सुचना विश्वविद्यालय प्रशासन को मिलते ही हंगामा मच गया। सच्चाई छिपाने के लिए विश्वविद्यालय ने सुरक्षाकर्मियो सहित आलाधिकारी उनके आवास पहुचकर डॉ. ओमशंकर को घर में अंदर ही नजरबन्द कर दिया। जब पत्रकार उनके आवास पहुचकर अंदर जाने लगे तो बीएचयू प्रशासन उनसे धक्कामुक्की की। बताते चले कि 13 माह पूर्व डॉ. ओमशंकर 15 दिन तक बीएचयू को एम्स का दर्जा दिलाने के लिए भूख हड़ताल किए थे। इसी दौरान उन्हें साजिश के तहत सस्पेंड करके जांच कमेटी बैठा दी गयी। इसके बाद उन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन किया, जिसमें जांच कमेटी के अध्यक्ष आरएन मिश्रा ने यह माना कि वह पूरे मामले में निर्दोष है। इतना ही नही आरएन मिश्रा ने यह भी कहा है कि उनके ऊपर डॉ. ओमशंकर को गलत ठहराने का दबाव है। कोर्ट ने पूरे मामले में बीएचयू प्रशासन को निर्देश जारी किया कि उन्हें जल्द से जल्द बहाल किया जाए। उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें बहाल नही किया गया है, मैं अपनी लड़ाई जारी रखूँगा क्योंकि यह लड़ाई जनता के हित की है। वही पूरे मामले में कुलपति पीआरओ राजेश सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि निलंबित डॉ. ओमशंकर ने किसी भी प्रेसवार्ता की अनुमति नही ली थी। वही चीफ प्रॉक्टर प्रो. सत्येंद्र सिंह ने मीडिया से कहा कि इस मामले में वह ज्यादा जल्दबाजी न करे तो ठीक रहेगा।
गलती छिपाने के लिए बीएचयू प्रशासन ने पत्रकारो से की बत्तमीजी,स्टिंग करने वाले डॉक्टर को किया नजरबन्द
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ओमशंकर ने स्टिंग सीडी मीडिया को देने के लिए गुरूवार की दोपहर 12 बजे अपने आवास पर प्रेसवार्ता बुलाई लेकिन अपनी गलती छिपाने के लिए बीएचयू प्रशासन ने मीडिया से मिलने नही दिया। प्रेसवार्ता की सुचना विश्वविद्यालय प्रशासन को मिलते ही हंगामा मच गया। सच्चाई छिपाने के लिए विश्वविद्यालय ने सुरक्षाकर्मियो सहित आलाधिकारी उनके आवास पहुचकर डॉ. ओमशंकर को घर में अंदर ही नजरबन्द कर दिया। जब पत्रकार उनके आवास पहुचकर अंदर जाने लगे तो बीएचयू प्रशासन उनसे धक्कामुक्की की। बताते चले कि 13 माह पूर्व डॉ. ओमशंकर 15 दिन तक बीएचयू को एम्स का दर्जा दिलाने के लिए भूख हड़ताल किए थे। इसी दौरान उन्हें साजिश के तहत सस्पेंड करके जांच कमेटी बैठा दी गयी। इसके बाद उन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन किया, जिसमें जांच कमेटी के अध्यक्ष आरएन मिश्रा ने यह माना कि वह पूरे मामले में निर्दोष है। इतना ही नही आरएन मिश्रा ने यह भी कहा है कि उनके ऊपर डॉ. ओमशंकर को गलत ठहराने का दबाव है। कोर्ट ने पूरे मामले में बीएचयू प्रशासन को निर्देश जारी किया कि उन्हें जल्द से जल्द बहाल किया जाए। उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें बहाल नही किया गया है, मैं अपनी लड़ाई जारी रखूँगा क्योंकि यह लड़ाई जनता के हित की है। वही पूरे मामले में कुलपति पीआरओ राजेश सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि निलंबित डॉ. ओमशंकर ने किसी भी प्रेसवार्ता की अनुमति नही ली थी। वही चीफ प्रॉक्टर प्रो. सत्येंद्र सिंह ने मीडिया से कहा कि इस मामले में वह ज्यादा जल्दबाजी न करे तो ठीक रहेगा।
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ghor anyay
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