छठ पूजा किसी धर्म, क्षेत्र या जाति विशेष की पूजा न होकर सभी धर्मों और जातियों को पुरे विश्व में करनी चाहिए????
क्योंकि मित्रों! ये ही एक ऐसी पूजा है जो सास्वत है, जो तथ्यात्मक है, जो प्रमाणिक है और जो वैज्ञानिक भी है।
आप सवाल करेंगे वो कैसे?
वो ऐसे कि इस दुनियां में मेरे हिसाब से दो तरह के लोग पाये जाते हैं जिनमे से एक को हम आस्तिक और दूसरे को नास्तिक कहते हैं?
आस्तिक का अर्थ जो भगवन में आस्था रखता हो और नास्तिक का अर्थ ऐसा मनुष्य जो भगवान, ईश्वर और अल्लाह में विश्वास न रखता हो और जो ऐसे ही चीजों को मानता हो जो वैज्ञानिक और प्रमाणिक हो।
इस तरीके से अगर देखा जाये तो इस पृथ्वी पर जितने भी जीव-जंतु पाये जाते हैं उनसबों को जिन्दा रहने के लिए अर्थात अपने जीवन के लिए सूर्य भगवान से प्राप्त ऊर्जा/एनर्जी पर निर्भर रहना पड़ता है चाहे वो शाकाहारी हों(जीने के लिए ऊर्जा और ऑक्सीजन पेड़ों से फोटोसिंथेसिस विधि द्वारा सूर्य भगवान से प्राप्त करते हैं) या फिर मांसाहारी(मांसाहारी लोग जानवरों को खाते हैं जो खुद जीने के लिए पेड़ पौधों पद निर्भर करते हैं; अर्थात ये भी जीवित रहने के लिए सूर्य भगवन पड़ ही निर्भर करते हैं)।
इसलिए सूर्य भगवन ही इस पुरी दुनियां में एक ऐसे भगवान हैं जो रोज हमें दीखते भी हैं ,जो वैज्ञानिक भी हैं और जो मानव जीवन के लिए ही नहीं बल्कि पृथ्वी पड़ पाये जाने वाले अन्य जीव जंतुओं के जीवित रहने के लिए भी सबसे जरुरी है।
इसलिए इनकी पूजा यानि छठ पूजा पुरे विश्व के सभी जाति और धर्मों के लोगों को करनी चाहिए।
जय छठि मैया की !जय सूर्य भगवान की जय!
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