Tuesday, December 8, 2015

भारत के गृहमंत्री महोदय जी ने किया डॉ ओम शंकर का सम्मान!


आज दिनांक 01-11-2015 को, मुझे "अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् " द्वारा, मेरे काशी में चिकित्सा विज्ञान तथा सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में किये गए बहुमूल्य योगदान के कार्यों के लिए "युवप्रतिभा सम्मान" से सम्मानित किया गया।

इसके लिए मैं "अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् " के चयन समिति के सभी सदस्यों को दिल से आभार प्रकट करता हूँ तथा पहले की ही तरह अपने इस सम्मान को भी अपनी जननी स्वर्गीय माताश्री कुमारी रत्ना जी और अपने अनुज भ्राता स्वर्गीय अखिल कुमार जी को समर्पित करता हूँ।

मेरे लिए ये सम्मान अपने पथ पर अडिग होकर अदम्य साहस के साथ आगे बढ़ने को प्रेरित करने का श्रोत होगा।

छठ पूजा किसी धर्म, क्षेत्र या जाति विशेष की पूजा न होकर सभी धर्मों और जातियों को पुरे विश्व में करनी चाहिए?

छठ पूजा किसी धर्म, क्षेत्र या जाति विशेष की पूजा न होकर सभी धर्मों और जातियों को पुरे विश्व में करनी चाहिए????

क्योंकि मित्रों! ये ही एक ऐसी पूजा है जो सास्वत है, जो तथ्यात्मक है, जो प्रमाणिक है और जो वैज्ञानिक भी है।

आप सवाल करेंगे वो कैसे?

वो ऐसे कि इस दुनियां में मेरे हिसाब से दो तरह के लोग पाये जाते हैं जिनमे से एक को हम आस्तिक और दूसरे को नास्तिक कहते हैं?

आस्तिक का अर्थ जो भगवन में आस्था रखता हो और नास्तिक का अर्थ ऐसा मनुष्य जो भगवान, ईश्वर और अल्लाह में विश्वास न रखता हो और जो ऐसे ही चीजों को मानता हो जो वैज्ञानिक और प्रमाणिक हो।

इस तरीके से अगर देखा जाये तो इस पृथ्वी पर जितने भी जीव-जंतु पाये जाते हैं उनसबों को जिन्दा रहने के लिए अर्थात अपने जीवन के लिए सूर्य भगवान से प्राप्त ऊर्जा/एनर्जी पर निर्भर रहना पड़ता है चाहे वो शाकाहारी हों(जीने के लिए ऊर्जा और ऑक्सीजन पेड़ों से फोटोसिंथेसिस विधि द्वारा सूर्य भगवान से प्राप्त करते हैं) या फिर मांसाहारी(मांसाहारी लोग जानवरों को खाते हैं जो खुद जीने के लिए पेड़ पौधों पद निर्भर करते हैं; अर्थात ये भी जीवित रहने के लिए सूर्य भगवन पड़ ही निर्भर करते हैं)।

इसलिए सूर्य भगवन ही इस पुरी दुनियां में एक ऐसे भगवान हैं जो रोज हमें दीखते भी हैं ,जो वैज्ञानिक भी हैं और जो मानव जीवन के लिए ही नहीं बल्कि पृथ्वी पड़ पाये जाने वाले अन्य जीव जंतुओं के जीवित रहने के लिए भी सबसे जरुरी है।

इसलिए इनकी पूजा यानि छठ पूजा पुरे विश्व के सभी जाति और धर्मों के लोगों को करनी चाहिए।

जय छठि मैया की !जय सूर्य भगवान की जय!

शिक्षा 6 से 14 वर्ष तक के इस देश के सभी बच्चों का मौलिक अधिकार है, इस देश के संविधान के आर्टिकल 21A के तहत?

क्या आपको पता है की (free,fair and compulsory)शिक्षा 6 से 14 वर्ष तक के इस देश के सभी बच्चों का मौलिक अधिकार है, इस देश के संविधान के आर्टिकल 21A के तहत?
इसको लागू करना केंद्र तथा राज्य सरकारों के लिए क़ानूनी तौर पर अनिवार्य है??
Right To Education

The Constitution (Eighty-sixth Amendment) Act, 2002 inserted Article 21-A in the Constitution of India to provide free and compulsory education of all children in the age group of six to fourteen years as a Fundamental Right in such a manner as the State may, by law, determine. The Right of Children to Free and Compulsory Education (RTE) Act, 2009, which represents the consequential legislation envisaged under Article 21-A, means that every child has a right to full time elementary education of satisfactory and equitable quality in a formal school which satisfies certain essential norms and standards.
Article 21-A and the RTE Act came into effect on 1 April 2010. The title of the RTE Act incorporates the words ‘free and compulsory’. ‘Free education’ means that no child, other than a child who has been admitted by his or her parents to a school which is not supported by the appropriate Government, shall be liable to pay any kind of fee or charges or expenses which may prevent him or her from pursuing and completing elementary education. ‘Compulsory education’ casts an obligation on the appropriate Government and local authorities to provide and ensure admission, attendance and completion of elementary education by all children in the 6-14 age group. With this, India has moved forward to a rights based framework that casts a legal obligation on the Central and State Governments to implement this fundamental child right as enshrined in the Article 21A of the Constitution, in accordance with the provisions of the RTE Act.
The RTE Act provides for the:
Right of children to free and compulsory education till completion of elementary education in a neighbourhood school.
It clarifies that ‘compulsory education’ means obligation of the appropriate government to provide free elementary education and ensure compulsory admission, attendance and completion of elementary education to every child in the six to fourteen age group. ‘Free’ means that no child shall be liable to pay any kind of fee or charges or expenses which may prevent him or her from pursuing and completing elementary education.
It makes provisions for a non-admitted child to be admitted to an age appropriate class.
It specifies the duties and responsibilities of appropriate Governments, local authority and parents in providing free and compulsory education, and sharing of financial and other responsibilities between the Central and State Governments.
It lays down the norms and standards relating inter alia to Pupil Teacher Ratios (PTRs), buildings and infrastructure, school-working days, teacher-working hours.
It provides for rational deployment of teachers by ensuring that the specified pupil teacher ratio is maintained for each school, rather than just as an average for the State or District or Block, thus ensuring that there is no urban-rural imbalance in teacher postings. It also provides for prohibition of deployment of teachers for non-educational work, other than decennial census, elections to local authority, state legislatures and parliament, and disaster relief.
It provides for appointment of appropriately trained teachers, i.e. teachers with the requisite entry and academic qualifications.
It prohibits (a) physical punishment and mental harassment; (b) screening procedures for admission of children; (c) capitation fee; (d) private tuition by teachers and (e) running of schools without recognition,
It provides for development of curriculum in consonance with the values enshrined in the Constitution, and which would ensure the all-round development of the child, building on the child’s knowledge, potentiality and talent and making the child free of fear, trauma and anxiety through a system of child friendly and child centred learning.

प्रधानमंत्री महोदय के नाम खुला पत्र-

प्रधानमंत्री महोदय के नाम खुला पत्र-

सेवा में,
प्रधानमंत्री महोदय!
भारत सरकार, नई दिल्ली।

विषय : 2014 जून के केंद्रीय बजट में पूर्वांचल के लिए घोषित नए एम्स का निर्माण काशी में ही, (बी0 एच0 यू0 से अलग), राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे जल्द से जल्द शुरू करवाने के सम्बन्ध में निवेदन।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि बनारस दुनिया में सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक होने के साथ-साथ हमारे देश की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर भी जानी जाती है।परंतु हमलोगों में से कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि काशी अनादिकाल से ही चिकित्सा जगत के जनक के तौर पर भी इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है।

यही वो शहर है जहां पर पूरी दुनिया में पहली बार भगवान धनवंतरी द्वारा चिकित्सा जगत का अविष्कार किया गया था, जिसको महर्षि देवदास ,चरक तथा सुश्रुत ने बाद में आगे बढाया। यहाँ तक कि विदेशियों ने भी शल्य चिकित्सा का ज्ञान और दक्षता यहीं से हासिल की थी।

यही नहीं सरकार काशी को ‘वल्र्ड हेरिटेज सिटी’तथा क्योटो शहर की तरह विकसित करना चाहती है जिसके लिए जापान के साथ कई समझौता भी किये गए हैं और इसी सन्दर्भ में अभी जापान के प्रधानमंत्री महोदय एक दिन के काशी प्रवास पर यहाँ आ भी रहे हैं। इस सबके साथ साथ ये आपका संसदीय क्षेत्र भी है महोदय।

साथ ही ये कलकत्ता और दिल्ली के मध्य में स्थित एक ऐसा शहर है जो मध्य प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बिहार, पूर्वांचल, दक्षिणांचल ,उत्तरांचल,बुंदेलखंड तथा नेपाल सभी से लगभग समानान्तर दूरी पर स्थित हैं।और जो चारो तरफ से सड़क मार्ग, रेलमार्ग तथा हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। पिछले वित्तीय वर्ष में दो हजार करोड़ से भी ज्यादा धनराशि प्रयाग से हल्दिया वाया वाराणसी को जलमार्ग से जोड़ने के लिए दिया गया था जिसकी अब शुरुआत भी होने वाली है।

महोदय! काशी को अगर पुरे दुनियां के सुंदरतम शहरों में विकशित करना है तो यहाँ की स्वास्थ सेवाओं को भी सर्वोत्तम बनाने की अत्यंत ही आवश्यकता है।

वर्तमान में यहाँ सरसुन्दर लाल चिकित्सालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ही एक मात्र ऐसा अस्पताल मौजूद है, जो इस क्षेत्र के लगभग २५ करोड़ गरीब तथा अति गरीब जनता के लिये स्वास्थ्य का एकमात्र जरिया है।

यहाँ हर वर्ष लगभग १0 से 15 लाख बीमार मरीज ईलाज कराने आते हैं,लेकिन दुःख की बात यह है कि यहाँ भी प्रयाप्त सुविधाएँ नहीं होने के कारण उनलोगों को मायूस होकर अतिविशिष्ठ इलाज के लिए लखनऊ,दिल्ली,तथा मुम्बई जैसे बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है जिनमे से कई तो रस्ते में ही दम तोड़ देते हैं।

अगर हम विश्व स्वास्थ्य संगठन की सर्वेक्षण रिपोर्ट २००८ को देखें तो पूरे दुनियां में लगभग १० करोड़ लोग प्रति वर्ष इसलिए गरीब हो जाते हैं क्योंकि वो या उनके परिवार के कोई सदस्य किसी न किसी गम्भीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं।

इससे यह साबित होता है की इस देश का समग्र विकाश तब तक संभव नहीं है जबतक कि स्वास्थ को सबसे अहम् मुद्दा मानकर इसपर सकारात्मक पहल की जाये।

जून 2014 के बजट में वित्तमंत्री महोदय ने चार नये एम्स खोलने की घोषणा की थी, जिसमें से एक एम्स पूर्वांचल में भी खोला जाना था जिस दिशा में अभी तक जमीन पर कोई कार्यवाही नहीं हो पायी हैI

‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) एक ऐसा अस्पताल होता है जिसमें सभी तरह की बीमारियों का अतिविशिष्ट उपचार उपलब्ध होता है और इसके साथ - साथ वहां पर अच्छी पढ़ाई-लिखाई और अन्वेषण की भी सुविधायें
उपलब्ध होती है।

ऐसा अस्पताल किसी एक बीमारी के इलाज को ध्यान में रखकर नही खोला जा सकता, जैसा की कुछ लोग गोरखपुर में एम्स के निर्माण के विषय में झूठी दलील दे रहे हैं।

यही नहीं संक्रमण से फैलेवाले बिमारियों पर काबूपाने के लिए, रोकथाम तथा टीकाकरण की जरुरत होती है नाकि नए अस्पताल खोलने। इस तथ्य की प्रमाणिकता अभी हाल ही में दिल्ली में फैले डेंगू के महामारी के सन्दर्भ में देखने को मिला।

दिल्ली में एम्स सहित इतने सारे अस्पताल होने के बावजूद भी इस महामारी को नहीं रोका जा सका, तो फिर डेंगू की तरह ही मच्छर के काटने से फैलनेवाले दिमागी ज्वर (Japanese encephalitis) को कैसे एक एम्स बनाकर गोरखपुर में काबू किया जा सकेगा?

वहां पर जिस चीज की जरुरत है वो है समाज में जागरूकता लाकर तथा DDT का छिड़काव करके मच्छर पर काबू पाने की तथा सभी बच्चों को दिमागी ज्वर से रोकथाम के लिए आवश्यक टीकाकरण करवाने की।

इन सबके बावजूद जो बच्चे इस रोग से ग्रसित हो जाये उसके समुचित इलाज के लिए गोरखपुर अथवा आसपास में कहीं पर 500 बेड का  जापानी मष्तिष्क ज्वर के लिए एक नए अस्पताल खुलवाने की, जिससे हमारे सिमित संसाधनों का सही उपयोग हो पाये।

यही नहीं गोरखपुर एक कोने में बसा, छोटा सा शहर होने के कारण वहाँ पर एम्स खुलने की स्थिति में मुश्किल से 50 लाख लोगों को फायदा पहुंचेगा (जबकि वाराणसी में खुलने पर 25 करोड़ जनता को सीधे तौर पर फायदा पहुंचेगा), क्योंकि मध्यप्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, बुंदेलखंड, उत्तरांचल और काशी के लोग गोरखपुर इलाज के लिए जाने की बजाय, दिल्ली और लखनऊ जाना ज्यादा पसंद करेंगे।

ये काशी वाशियों के लिए भी शर्म की बात होगी कि सांसद प्रधानमंत्री होते हुए भी यहाँ की गरीब जनता को अपने समुचित इलाज के लिए आनेवाले भविष्य में भी दर-बदर भटकना पड़ेगा।

अतः अगर हम उपरोक्त बातों पर ध्यान देते हुए बिना किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर सोचें तो, पूर्वांचल में काशी से बेहतर एम्स के लिए कोई और सार्थक तथा स्वाभाविक विकल्प नज़र नहीं आता।

भारतीय जनता पार्टी भारतवर्ष में मूल्यों तथा विचारों को बर्बाद होने से बचाने के लिये हमेशा ही तत्पर रही है। इसीलिए हमारा माननीय प्रधानमंत्री महोदयजी आपसे विन्रम निवेदन है कि जिस तरह भगवान राम का मंदिर वहीँ बनना चाहिये जहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था , ठीक उसी तरह क्यों नहीं भगवान धन्वन्तरी,चरक, देवदास,तथा सुश्रुत का मंदिर यानि "अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान" भी वहां ही बनाना चाहिये जहां पर चिकित्सा विज्ञान का अविष्कार हुआ था???

इससे ना सिर्फ भगवान धन्वन्तरी ,चरक तथा सुश्रुत का सम्मान होगा बल्कि हमारे संस्कृति का भी सम्मान होगा।

डॉ ओम शंकर,
असिस्टेंट प्रोफेसर,
डिपार्टमेंट ऑफ़ कार्डियोलॉजी,
का0 हि0 वि0 वि0,
वाराणसी।

Tuesday, September 15, 2015

आखिर क्यों चाहता हूँ मैं काशी में एम्स


आखिर क्यों चाहता हूँ मैं काशी में एम्स???????
मित्रो आपके और हमारे जीवन में कभी-कभी ऐसी घटना घट जाया करती है जो हमें और आपको ये मानने को बाध्य कर देते हैं कि इस दुनियां में सब कुछ हमारे बस में नहीं है??
आज फिर ऐसी ही एक घटना मेरे जीवन में घटी जिसको मैं आप सबों से शेयर करना चाहता हूँ।
दोपहर के लगभग 1 बज रहे होंगे बाहर चिल-चिलाती धुप थी।मैं अपने कैथ लैब में बैठा था कि अचानक से मेरे मन में ये ख्याल आया कि चलकर अपने वार्ड का राउंड लेता हूँ।मैं वहां से उठकर राउंड लेने जैसे ही CCU के गेट के पास पहुंचा तो दूर से देखा की एक व्यक्ति CCU के गेट पर स्टेचर पर पड़ा छटपटा रहा है।मैं भागकर उनके पास पहुंचा तो देखा कि वो कोई और नहीं बल्कि IMS BHU में मानसिक रोग विभाग में काम करने वाले मेरे हीे एक चिकित्सक मित्र हैं। जैसे ही उनकी नज़र मेरे नजरों से मिली उनके आँखों में एक चमक सी दौर गयी।आँखों में छाये मौत के डर के बीच एक गजब सा अंदर से आत्मविश्वास उनके चेहरे पर मुझे दिखा और बुद् बदाते हुए बरबस ही उनके मुँह से ये आवाज़ निकली कि अब तुम आ गए हो तो मैं जरूर बच जाऊंगा।
उनको मैंने आँखों ही आँखों में विस्वास दिलाया, जी जरूर!
मेरे ऊपर उनके द्वारा दिखाए गए ये विश्वास जहाँ एक तरफ तो अतिआनन्ददयाक था परंतु दूसरे तरफ एक कठिन चुनौती भी।
फिर मैं उनके गंभीर हालात को पढ़ते हुए खुद ही स्टेचर खिचता CCU के अंदर ले गया और खली पड़े एक बिस्तर पर लिटा दिया। संयोग की बात ये थी की मेरा CCU में काम करनेवाला ECG टेकनिशियन कहीं बुलावे पर दूसरे वार्ड में ECG करने गया हुआ था और ECG मॉनिटर में सारे लीड नहीं आ रहे थे। इसलिए मैंने ECHO मशीन मंगवाया हार्ट अटैक को साबित करने के लिए ताकि खून के थक्के को घुलानेवाली दावा शुरू की जा सके । तब तक मैंने अपने स्टाफ सिस्टर्स को कुछ इमरजेंसी दावा खिलाने के निर्देश दे दिया था। अभी दो चार मिनट ही बीते होंगे कि अचानक से उनके ह्रदय ने काम करना बंद कर दिया।
उनके ह्रदय गति वापिस करने के लिए हमने उनको बिजली के तीन बड़े बड़े झटके दिए और उनके सीने पर थम्प तथा दवाब देना शुरू कर दिया।कुछ देर दवाब देने के बाद जाकर कहीं उनकी ह्रदय की गति पुनः आरम्भ हो पायी।
फिर मैंने बाँकी की बची दवाएं भी अपने स्टाफ सिस्टर्स को लगाने का निर्देश दे दिया।अभी फिर कुछ ही समय बीते होंगे कि उनकी ह्रदय गति पुनः रुक गयी।जिनके लिए पुनः हमने बिजली के झटके देने के साथ साथ उनके सीने को दबाना शुरू कर दिया। कुछ देर तक दवाव देने के तत्पश्चात उनकी ह्रदय गति पुनः सुचारू रूप से शुरू हो पायी।
3 घंटे तक चले जीवन मृत्यु की इस मैराथन महाजंग में आखिरकार हमारी विजय हुई और हमने अपने मित्र को दूसरा जन्म लेने में सहायता प्रदान की।
मेरे ये मित्र आज किस्मत के धनी साबित हुए कि आज की सारी घटनायें मेरे 14 महीने के बनवास से आने के बाद घटी परंतु उन हज़ारों भाई बहनो के जान का क्या जो मेरे 14 महीने के बनवास के दौरान गयी???
कौन हैं उनके मौत के असली जिम्मेदार????
मेरे ये मित्र ,उन्ही मित्रगणों में से एक थे जो आज से 16 महीने पहले मुझे एम्स की लड़ाई के मैदान में धोखा देकर और अकेले छोड़कर भाग खड़े हुए थे और मेरे निलंबित होने और बने रहने में भी अहम् भूमिका निभायी थी।
आज इनकी बारी थी कल किसी और की भी हो सकती?
ऐसी कोई अप्रिय घटना कही हमारे वाईस चांसलर ,डायरेक्टर अथवा प्रधानमंत्री महोदय के साथ न घट जाये इसलिए तो मैं आज भी यहाँ एम्स की स्थापना के लिए मुखर होकर (अपने होने वाले नुकसानों को नज़र अंदाज़ करके) अपनी बातों को रखता रहता हूँ!
उपरोक्त बातों को सभी मित्रों को समझने की अत्यंत ही आवश्यकता है वरना आनेवाली पीढ़ी कभी हमें हमारे इस गलती के लिए माफ़ नहीं करेंगे।
काशी मांगे एम्स!
एम्स से कम कुछ भी मंजूर नहीं।

क्या काशी में एम्स के स्थापना की माँग BJP /संघ या हिन्दू विरोधी गतिविधि है?


क्या काशी में एम्स के स्थापना की माँग BJP /संघ या हिन्दू विरोधी गतिविधि है?????
बिलकुल भी नहीं।
क्या एम्स काशी में नहीं गोरखपुर में होना चाहिए???
मित्रो! किसी भी समाज या राष्ट्र का निर्माण वहां पर रहने वाले मानव समूहों से होता है। इन मानव समूहों की अलग अलग सोच /विचारधारा होती है जिनके हिसाब से हमलोग हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख और ईसाई में जन्म के हिसाब से बट जाते हैं।
किसी भी पार्टी या संगठन की उत्पत्ति समाज में रहने वाले व्यक्तियों द्वारा किया जाता है न कि पार्टी या संगठन समाज में रहनेवाले मनुष्य कि उत्पत्ति करता है। अलग अलग पार्टी/संघ का निर्माण हमलोग अपने आपको या अपनी सोच/विचारधारा को सर्वश्रेष् साबित करने के लिए किया करते हैं।
परंतु ये कटुसत्य है की चाहे हम किसी भी पार्टी के समर्थक या विचारधारा के मानने वाले हों हम सब मानव हैं और कभी न कभी बीमार भी अवश्य ही परते हैं।
जब हम बीमार परते हैं तो किसी न किसी अस्पताल में हमें इलाज करवाने को जाना ही परता है।
अस्पताल ही इस दुनियां में एक ऐसी जगह है जहाँ पर एक ही छत के निचे अल्लाह ,ईश्वर ,भगवान और गॉड सभी रहने को मजबूर हैं वरना हमने तो उनको भी अलग अलग मकान का स्वरुप देकर बाँटने में कभी कोई कोताही नहीं की है जैसा की हमने अपने आपको हज़ारों जातियों में विखंडित करने में।
मानवता के इस मंदिर ,मस्जिद और गिरजाघर यानि "एम्स" के निर्माण में , जहाँ सभी को बराबर मानते हुए(चाहे वो किसी भी जाती धर्म समुदाय संघ और पार्टी के हों) बिना किसी द्वेष और भेदभाव के चिकत्सकगण मानवधर्म का पालन करके सबकी जान बचाने की भरपुर कोशिश करते हैं, सबको एक साथ मिलकर अहम् भूमिका निभानी चाहिए।
जब मैं पहली बार 15 दिन के आंदोलन और आमरण अनसन पर था तो BJP के सांसद, विधायक ,संघ और अन्य हिन्दू संगठनो के अलावा सभी पार्टियों और धर्मो के लोगों द्वारा इस मुद्दे का समर्थन किया गया था और मैंने अपना आमरण अनशन भी श्री श्री रविशंकर जी हाथों जूस पीकर किया गया था जो संघ, BJP और PM महोदय के अति करीबी माने जाते हैं। उन्होने खुद अपने स्तर से अपनी पूर्ण सहभागिता का भी भरोषा दिलाया था।
यही नहीं BJP ने एम्स को अपने इलेक्शन मैनिफेस्टो में डालते हुए पिछले दो बजटों में 8 नए एम्स के निर्माण की स्वीकृति भी दी है।
अगर इस देश के अन्य हिस्से में बननेवाला एम्स संघ /BJP विरोधी नहीं है तो फिर काशी में बननेवाला एम्स कैसे संघ/हिन्दू विरोधी हो सकता??
उस समय सरकार में आने के बाद श्री जेठली जी और श्री अमित शाह जी के द्वारा खुद काशी में एम्स के निर्माण का न सिर्फ आश्वासन दिया गया था बल्कि पहले ही बजट में पूर्वांचल में एक एम्स की घोषणा भी की गयी थी।
जिसको अब कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा काशी से गोरखपुर ले जाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है वो भी बेहद ही थोथी दलील के आधार पर जो सर्वथा व्यर्थ की दलील है क्योंकि एम्स किसी संक्रमित बीमारी के निराकरण करने का अस्पताल नहीं होता है और न ही संक्रमण की बीमारी को ज्यादा अस्पताल खोलकर करना संभव है। इसका प्रमाण ये है की दिल्ली में एम्स सहित हज़ारों अस्पताल होने के बावजूद भी आजकल हज़ारों लोग डेंगू से मर रहे हैं। यक लीले रोकथाम और टीकाकरण ही एक मात्र कारगर उपाय संभव है।
यही नहीं नहीं गोरखपुर एक कोने में बसा शहर है और वहां एम्स बन्ने की स्थिति में इसका फायदा कुछ सिमित क्षेत्र को ही हो पायेगा जिससे हमारे सिमित संसाधनों का सिर्फ और सिर्फ दुरूपयोग होगा और काशी और आसपास की जनता पहले ही की तरह दिल्ली और अन्य शहरों में जाकर भटकती रहेगी जोकि प्रधानमंत्री महोदय के लिए भी अपमान का विषय होगा।
जहाँ तक गोरखपुर के आस पास में फैले JE के इलाज और रोकथाम का सवाल है इसके लिए आवश्यक टीकाकरण तथा JE के लिए 500 बेड का अलग से एक अस्पताल और रिसर्च सेंटर वहां स्थापित करने की जरुरत है न की एम्स की।
हम तो सिर्फ इतना चाहते हैं कि जिस चीज की जहाँ जरुरत हो वहां बने ,जिससे की पीड़ित जनता को उसका सही से लाभ भी मिल सके और सिमित सरकारी संसाधनों के दुरूपयोग को भी रोक जा सके!
काशी मांगे एम्स!
एम्स से कम कुछ भी मंजूर नहीं!
कृपया इसको ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि ये प्रधानमंत्री महोदय तक पहुँच जाये!

Friday, September 11, 2015

कशी मांगे एम्स by dr. om shankar bhu

कशी मांगे एम्स
एम्स से कम कुछ भी मंजूर नहीं
आज कल एक साजिस रची जा रही है
काशी में एम्स के मांग को दबाने के लिए।
वो है एक बार ग्रांट्स।
ये वैसी ही मांग है जैसे कि हम अपने लिए कहीं से धन इकठ्ठा करके एरोप्लेन खरीद लें परंतु उसमे डालने को ईंधन हमारे पास हो ही नहीं तो ऐसा एरोप्लेन किस काम आएगा शिवाय दिखावे के???
ठीक ऐसी ही सोच ट्रामा सेंटर के निर्माण के समय भी आगे बढ़ाई गयी की ONE TIME ग्रांट्स ले ली जाये फिर आगे वो चलेगा कैसे इसकी उनको कोई फ़िक्र नहीं थी।
और उसी गलती को पुनः दोहराने की कोशिश की जा रही है ONE TIME ग्रांट्स के नाम पर काशी में एम्स की स्थापन की मांग को कुचलने के लिए।
मित्रो!
बी0 एच0 यू0 में एम्स की स्थापना, एम्स एक्ट में थोड़े क़ानूनी संशोधनों के बाद, ही एक मात्र ऐसा विकल्प है जिससे यहाँ की बेपटरी पर चल रही स्वास्थ सेवाओं के स्तर को बेहतर किया जा सकता है।
क्योंकि इससे रीकरिंग ग्रांट्स प्रतिवर्ष आएंगे और ऐसा एम्स बन्ने के बाद लगातार सुविधाएँ प्रदान करने में सक्षम होगा।
ONE टाइम ग्रांट्स से "अपग्रेडेड टू एम्स " नाम तो दिया जा सकता परंतु प्रति वर्ष चलाने के लिए धन के आभाव में सेवा का विस्तार नहीं हो पायेगा।
इसकी स्थिति वैसी ही होगी जैसे की हाथी खरीदकर अगर उसके लिए खाना का प्रबंध न किया जाये तो वो हाथी कुछ समय बाद मर जायेगा।
प्रधानमंत्री महोदय हमारे सांसद हैं जो बिहार के जनता को जितना चाहो धन मांग लो अपने विकास के लिए का विकल्प देते हैं तो बी0 अच्0 यू 0 प्रशासन को धन मांगने और एम्स मांगने में संकोच किस बात की????
जबकि इस विश्वविद्यालय का निर्माण ही भीख मांगकर इनके संस्थापक महामना द्वारा किया गया था।
अगर उनकी सोच ऐसी रही होती तो क्या आज यहाँ इतना सूंदर विश्वविद्यालय होता????
जहाँ तक एम्स एक्ट 1956 का सवाल है जिसके तहत की एम्स दिल्ली का निर्माण हुआ था उसके मुताबिक भी डेल्ही यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर एम्स डेल्ही के स्थायी सदस्य होते हैं तो बी0 एच0 यू0 वाराणसी में बनने वाला एम्स कैसे बी0 एच0 यू0 से अलग हो जायेगा????
इसलिए हमें लगता है की गन्दी राजनीती को त्यागकर हम सभी लोगों को काशी और आस पास के गरीबों के स्वास्थ के अधिकार को ध्यान में रखते हुए यहाँ पर "एम्स से कम कुछ भी नहीं" की मांग अपने सांसद प्रतिनिधि अवं प्रधानमंत्री के समक्ष ईमानदारी से रखनी चाहिए।
और हमें पूरा विस्वास है की प्रधानमंत्री महोदय ऐसे नेक कार्य में कभी भी न नहीं करेंगे अगर पूरा सच उनके सामने रक्खा जाये तो ???
क्योंकि वो प्रधानमंत्री होने के साथ साथ हमारे जनप्रतिनिधि भी तो हैं।
काशी मांगे एम्स!
एम्स से कम कुछ भी मंजूर नहीं।

Thursday, July 16, 2015

जब तक शिलापट्ट पे AIIMS,BHU नही लिखा जाएगा......उद्घाटन नही कर पाएंगे मोदी।

VARANASI: Rains once again may have played spoil sport as for the second time in a row, Prime Minister Narendra Modi's visit to Varanasi was cancelled here on Thursday. However, state BJP chief Laxmikant Bajpayi claimed arrangements were foolproof and the PM cancelled his visit only because of the death of a labourer working at DLW ground on the intervening night.
The 19-year-old labourer Devnath aka 'Manna' was decorating flowers on the stage when he got in touch with some wire and got electrocuted on the intervening night on Wednesday and Thursday, the police said.
Earlier, on June 28, heavy rains forced cancellation of PM's visit to Varanasi forcing energy minister Piyush Goyal to take up supervision of preparation for PM'd rescheduled visit on July 16. Waterproof tents, improved drainage system were thus put in place this time DLW ground where the PM was scheduled to make a public address.
READ ALSO: PM's Varanasi visit cancelled due to heavy rain
Rains began, however, since Wednesday night after mainly three sunny days and humidity and were continuing leading to heavy waterlogging at several places in and around the DLW ground and other part of the city.
However, state BJP chief Laxmikant Bajpayi while confirming the cancellation of PM's visit said that the sole reason this time was "an unfortunate death of a labourer working for preparation of DLW public address ground."
The PM like on June 28 was scheduled to inaugurate BHU's 324-bed Rs 187-crore Trauma Centre, lay foundation stone for two sub-stations, ring road and four-laning from Babatpur Airport to Kuchhehry Crossing.
What will happened to the fate of Trauma Centre especially as the inauguration of the same has been cancelled for the third time. PM Narendra Modi was expected to inaugurate the trauma centre on October 14, 2014 but the visit was cancelled because of Hud-hud cyclone.
He was again scheduled to inaugurate the same on June 28 but rains kept him away like on Thursday leading to disappointment among the residents of Varanasi, whose wait for their local MP is getting longer and longer.
The PM last visited Varanasi on December 25, 2014.

कोई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है,

ये मेरा 28 जून 2015 का पोस्ट है जब मैंने मोदीजी के वाराणसी आगमन के कैंसिल होने पर लिखी थी जो आज पुनः सत्ययापित हो गया है। जिस अनिष्ट का मुझे अंदेशा था वो भी आज सही साबित हो गया।एक व्यक्ति की पंडाल बनाने में मृत्यु हो गयी।सभी मौसम वैज्ञानिकों और ज्योतिषियों की भविष्यवाणी भी गलत साबित हुई और मेरी 14 महीने की तपस्या सही साबित हुई।अब तो सच को स्वीकार करें प्रधानमंत्री महोदय और यहाँ गरीबों के लिए 14 महीने के मेरे बनवास और तपस्या की सत्यता को स्वीकार करते हुए एम्स की घोषणा करें वरना कहीं अगली बार ये अनिष्ट पुनः किसी और के साथ न हो जाये।


कोई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है,
वही होता है जो मंजूर खुद होता है।
आज फिर वही हुआ...
पैसे आये एम्स बन्ने और बना दिए ट्रामा सेंटर वो भी बाबा की नागरी में ,ऐसा अन्याय बाबा अपने नागरी में कैसे होने देंगे?? 
अब भी समझ जाएँ और एम्स का उद्घाटन करें वरना और भी कुछ अनिष्ट होगा। मेरे facebook पोस्ट से दिनांक 
28 जून 2015

Wednesday, June 24, 2015

डॉ ओम शंकर :निलंबन की समाप्ती

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय मे AIIMS के मांग को लेकर शुरू हुआ मेरा अनशन ओर कई मोड लेने  के बाद  june 19 को  मेरा निलंबन खत्म हुआ। लगभग 15 महीने के निलंबन और अजीब से प्रशासनिक बर्तावों के बावजूद ईश्वर पे श्रद्धा बनी रही , और  आज जून 19 को मेरा निलंबन वापस लिया गया ।शायद इसे सत्य की जीत कहेंगे  और निरंतर अपनी मांगो पे डटें रहने की लगन जिसका परिणाम भी मिला , और ये साबित  करता है की  मेरी मांग कई  मायनों  मे उचित थी ।
ये अलग बात हैं की मंजिल अभी दूर हैं और  मेरी बनारस मे AIIMS की मांग अभी पूरी नहीं हुई है, लेकिन मेरा निलंबन खतम हुआ जिसने मुझे अपने रास्ते पर कायम रहने का हौसला जरूर दिया है,

मैंने पिछले पोस्ट मे कई बार लिखा है के बनारस मे AIIMS के क्या मायने हैं , आप यहाँ जाकर पढ़ सकते हैं 
लेकिन जैसा की बनारस  नरेंद्र मोदी जी का  संसदीय क्षेत्र  है ओर यहाँ के विकाश के लिए उनकी पूरी जवाब देही बनती है , जैसा की उन्होने kyoto यात्रा के दौरान बनारस के विकाश की बात कही  , अगर प्रधान मंत्री जी AIIMS की मांग लेते हैं तो ये कहाँ जा सकता है के उन्होने kyoto मे जो बनारस के विकाश की बात कही थी वो अपनी उस बात को लेकर गंभीर हैं ,

Wednesday, May 27, 2015

मेरा पहले आमरण अनशन

ये  bhu
 में  Aiims  की  स्थापना  के  लिए   किये   गए   मेरे  पहले आमरण अनशन तोड़ने का  पिक्चर  है ।तब  बीजेपी सत्ता में नहीं थी  … बीजेपी  के  सरे  लोकल  पॉलिटिशियन ।जिस्मे  डॉ  मुरली  मनोहर जोशी जी भी  शामिल  थे … इलेक्शन  जीतने के बाद यहाँ Aiims की  स्थापना  पुरजोर  समर्थन  किया  था …यहन  तक  की  मोदी  जी  ने  अपने  एक  सभा  में  भी  खुद  इसका  समर्थन  किया  था …परन्तु  एक  साल  बीत  जाने  के  बाद    अब  इसको  गोरखपुर  ले  जाने  की  तयारी  चलने  लगी  है .To क्या क्योटो बनाने  काशी  से  लोग  इलाज  करने  गोरखपुर  जायेंगे ?क्या  इसलिए  काशी  की  जनता  ने  अपने  संसद  प्रधानमंत्री  जी  को  चुना  था  की  इस  शहर  की  दो  पहचान …धर्म  और  BHU/Medical हब .... …।क्युकि  Aiims एक  बरगद  के  पेड़  की  तरह  hota है  जो  आप  पास  के  उगे  पौधों  को  नष्ट  कर  देता  है । वैसे  ही  जब  Aiims  गोरखपुर  में  बनेगा  तो  यहाँ   से  सरे   पेशेंट ..doctor । स्टाफ … सब  गोरखपुर  चले  जायेगा …ज़िस्से  न  सिर्फ bhu का  सर्वनाश  होगा …अपितु   पुरे  काशी  का  सर्वनाश  हो  जायेगा ...

तीनों यूनिट जिनको जोड़कर एम्स बी0एच0यू0 बनाने की परिकल्पना है

ये हैं तीनों यूनिट जिनको जोड़कर एम्स बी0एच0यू0 बनाने की परिकल्पना है। पहले दो कैंपस (बी0एच0यू0 मेन कैंपस तथा ट्रामा सेंटर कैंपस)को एक साथ जोड़ने की मेरी मांग है फिर एम्स तथा बी0एच0यू0एक्ट में संसोधन करके नवनिर्मित एम्स बी0एच0यू0 को बी0एच0यू0 से जोड़ने का मेरा सुझाव है और फिर नए एम्स में बी0एच0यू0 के कुलपति को वही अधिकार दिया जाये जो कि आज बी0एच0यू0 में उनके कुलाधिपति(यानि चांसलर) को प्राप्त है। मतलब मेरा उद्देश्य है दो कैंपस को जोड़ना,दो institution को जोड़ना। मतलब अखंड बी0एच0यू0-बृहद बी0एच0यू0-भ्रष्टाचार मुक्त बी0एच0यू0-एम्स बी0एच0यू0 की स्थापना करना।जय काशी-जय महामना।

Tuesday, May 26, 2015

माओवादी होना गुनाह नही

इस देश का कानून माओवादी विचारधारा रखनेवाले को भी गुनहगार नहीं मानता परंतु मानववादी होना प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र में गुनाह है।बी0 एच0 यू0 में एंजियोप्लास्टी की शुरुआत करना गुनाह है परंतु भरष्टाचार फैलाना गुनाह नहीं है।यहाँ बेहतर स्वस्थ सेवा और एम्स की बात करना तो गुनाह है परंतु मालवीय जी का नाम बेचकर पद पाना और फिर भरष्टाचार करना गुनाह नहीं है।यहाँ न्याय की बात करना तो गुनाह है परंतु अन्याय करना महामना के आदर्शों par चलने जैसा mana जा रहा है।आज शर्मसार हो रहा है अपने ही मंदिर में महामना और सोया है उनके उपासक।

Wednesday, May 20, 2015

Mr sandeep gosain (delhi)'s letter to mr. LAL JI SINGH (Vice Chancellor, BHU) about Dr. omsankar


To,
Mr. Lalji Singh, Vice Chancellor, BHU
Dear and respected Sir,
The objective of writing this letter is not only to thank a doctor for saving the life of my brother but is also to thank almighty for sending such a noble soul on earth for the welfare of mankind. I am writing this letter to express my deep gratitude for the superior care taken by a doctor and his entire team while my brother was undergoing treatment for his heart ailment at Banaras Hindu Universit,y recently.
Banaras Hindu University, Varanasi is a renowned institute for not only Medical but other fraternities as well. It not only caters to the patients of Banaras but also of other states and towns of UP and here works a pure and noble soul called Dr. Om Shankar, in Cardiology department. Dr. Om Shankar working in the Banaras Hindu University, Varanasi is making a praiseworthy contribution by means of saving human lives with his amazing attitude and exemplary approach in serving and taking care of his patients. Dr. Om Shankar is more than 100% justifying the oath taken by Medical Fraternity in its true spirit and is not only serving the mankind but is also in a way serving the entire Medical fraternity with a commendable approach towards medical profession. It is a matter of privilege for both residents of Banaras and Banaras Hindu University to be equipped with such Medical professional.
My brother Sandeep Gosain, 38 years was in Banaras for his professional commitments and was on his way to board a flight to Delhi on 08.04.2013. On his way to Airport he met with a severe Heart Attack and was taken to a private clinic, en-route. The doctor at that clinic advised that my brother be taken to BHU for immediate medical attention as the case was beyond his means and control. My brother was taken by his colleagues to BHU and after reaching there a mad rush of people just like in Mahakumbh was witnessed and colleagues of my brother started regretting their decision of visiting BHU but since it was a severe heart attack and time was running out it was unanimously decided that first a medical relief is obtained and after being stable he can be shifted to a better medical facility in Delhi or a bigger private hospital for fine treatment.
Anticipating ahead a grilling and tiring time of dealing with government employees the mission to save life of my brother was started by his colleagues at BHU, but to their shock they sailed through the entire process in about 10 minutes from emergency to ICU and then in the hands of Dr. Om Shankar, unbelievable. Myself, Sanjay Gosain a government employee with Municipal Corporation of Delhi was informed by the colleagues of my brother on 08.04.2013 about the condition and treatment being given at a BHU, a government organization in Varanasi. I being in Delhi was immensely worried and asked them to provide him the best medical aid in Varanasi at some private hospital but they were reluctant to shift him in a private hospital because locals of Banaras advised them that other than BHU he cannot be saved anywhere else. I boarded next day’s flight to Varanasi, this being my first visit to Varanasi, and reached BHU by 01.30 PM on 09.04.2013 with lot of apprehensions about BHU being a government institution and that too in Banaras and after seeing the condition of my brother and the angina pain that he was going through I decided to shift him to Delhi, being ignorant of the nitty gritties of the medical aid. I was then advised by Dr. Om Shankar that the pulse of my brother was not stable, as it was touching 146 and Blood Pressure was also on very high side & they were trying to stabilize him before performing angiography. The nurses were trying to convince me that my brother was in the safest hands and was getting the best medical treatment in the world, later I realized the best meant not in terms of decorum but in terms of truthfulness, sincerity and dedication of medical fraternity, even though it was hard for me to digest.
I was hoping against the hope and since it was not feasible for me to shift my brother anywhere I decided to go with the flow of wind and processed with angiography in BHU itself. This was performed by Dr. Om Shankar himself and midway the process, I was showed on the Computer screen that the primary artery was 100% choked and immediate medical aid was the need of hour. I was numb, panic-stricken and also in fix as I had no other option but to rely on God and then on Dr. Om Shankar and half-heartedly gave a go ahead for fixing stunts in his artery. The process took about one and a half hour and by the time I was waiting outside I met at least 6 people who were taken care by Dr. Om Shankar and what I realized in that one and a half hour by hearing to those patients and their attendants brought my world upside down and tears in my eyes. Every single patient and his attendant spoke remarkable words about this man and convinced me that my brother was in the best & safest hands in the world.
After the angioplasty was performed, I got to speak to Dr. Om Shankar in person for about 10 minutes and it is because of those 10 minutes (cant be expressed in writing), I am writing this letter to all the authorities. My brother was retained in ICU for 3 days and discharged on 12.04.2013. Today we are back in Delhi and my brother is recovering very fast. Dr Om Shankar even provided his mobile no. & in case of any adversity we were allowed to call him from Delhi and take advice, unbelievable.
I have learned the biggest lesion of my life…Money can’t save life, Doctors can. Despite being financially sound and in the capacity of getting the most expensive medical aid for my brother in best of the hospitals we were circumstantially compelled to get treated at BHU in Varanasi. Today after being treated at BHU by Dr. Om Shankar and his team I feel proud to be an Indian who could avail the best medical aid in the best medical institution of India in the hands of best possible surgeon/doctor for my brother.
Before signing off I would like to say that I was trying to give some money out of my sweet will to certain staff members of BHU which every one politely denied, even Class IV employees stated that Dr. Om Shankar has given clear instructions that none of the staff associated under him shall indulge in any such activity of accepting money or rewards and they feel proud that they are working under such a dignified man. Despite taking my brother out of Banarus Hindu Univeristy - Alive, Hale and Hearty----I left in tears. Trust me even while writing this letter tears are in my eyes for sincerity, dedication and true spirit of Dr. Om Shankar.
Being a common man and not in the capacity of facilitating Dr. Om Shankar on any platform, I take pride in declaring this gentleman as pearl in the Ocean of BHU. Wish if all other government hospitals in India had at least one Dr. Om Shankar, the medical aids in India would be an example for the whole world to witness.
I once again take pride in thanking Dr Om Shankar and his entire team for disposing their duties with sincerity, dedication, truthfulness & for being sublime without any prejudice to caste, creed, religion or social status of patients & above all without any personal interest, gains or hiccups of any sort.
Dr. Om Shankar-an Institution within an Institution--------------for me I have witnesses God -----practically.
Finally, once again I bestow my head in the respect of Dr. Om Shankar and thank BHU on behalf of my entire family for saving the life of my bother in the true spirit of medical profession.
Regards,
SANJAY GOSAIN
1455/Sector 17 C,
Gurgaon (Haryana)-122001
9811375280

गलती छिपाने के लिए बीएचयू प्रशासन ने पत्रकारो से की बत्तमीजी,स्टिंग करने वाले डॉक्टर को किया नजरबन्द



वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ओमशंकर ने स्टिंग सीडी मीडिया को देने के लिए गुरूवार की दोपहर 12 बजे अपने आवास पर प्रेसवार्ता बुलाई लेकिन अपनी गलती छिपाने के लिए बीएचयू प्रशासन ने मीडिया से मिलने नही दिया। प्रेसवार्ता की सुचना विश्वविद्यालय प्रशासन को मिलते ही हंगामा मच गया। सच्चाई छिपाने के लिए विश्वविद्यालय ने सुरक्षाकर्मियो सहित आलाधिकारी उनके आवास पहुचकर डॉ. ओमशंकर को घर में अंदर ही नजरबन्द कर दिया। जब पत्रकार उनके आवास पहुचकर अंदर जाने लगे तो बीएचयू प्रशासन उनसे धक्कामुक्की की। बताते चले कि 13 माह पूर्व डॉ. ओमशंकर 15 दिन तक बीएचयू को एम्स का दर्जा दिलाने के लिए भूख हड़ताल किए थे। इसी दौरान उन्हें साजिश के तहत सस्पेंड करके जांच कमेटी बैठा दी गयी। इसके बाद उन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन किया, जिसमें जांच कमेटी के अध्यक्ष आरएन मिश्रा ने यह माना कि वह पूरे मामले में निर्दोष है। इतना ही नही आरएन मिश्रा ने यह भी कहा है कि उनके ऊपर डॉ. ओमशंकर को गलत ठहराने का दबाव है। कोर्ट ने पूरे मामले में बीएचयू प्रशासन को निर्देश जारी किया कि उन्हें जल्द से जल्द बहाल किया जाए। उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें बहाल नही किया गया है, मैं अपनी लड़ाई जारी रखूँगा क्योंकि यह लड़ाई जनता के हित की है। वही पूरे मामले में कुलपति पीआरओ राजेश सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि निलंबित डॉ. ओमशंकर ने किसी भी प्रेसवार्ता की अनुमति नही ली थी। वही चीफ प्रॉक्टर प्रो. सत्येंद्र सिंह ने मीडिया से कहा कि इस मामले में वह ज्यादा जल्दबाजी न करे तो ठीक रहेगा।

अगर बनारस में एम्स होगा




अगर बनारस में एम्स होगा तो कितने ही मासूमों की जान रोज बचाए जा सकती है।कब तक इस तरह से काशी तथा आसपास के 25 करोड़ गरीब और निराश्रित अपने जिगर के टुकरौं को खोकर आँशु बहाते रहेंगे???कब तक सरकारी मदद के इंतज़ार में अपने माँ ,बहन, बेटे -बेटी ,भाइयों और अपने पिता को खोते रहेंगे??आखिर कौन है इन मासूमों का हत्यारा???समाज जो की अपने स्वास्थ के अधिकार को तभी जान पाती जब अपने पर बीतती है???या फिर हमारा सरकारी तंत्र जिनको स्वास्थ की महत्ता ही समझ नहीं आती क्योंकि पैसौं के आभाव में मरनेवाला कोई उनका सागा नहीं होता???कितने शर्म की बात है की एक इंसान जिसने महामना के मंदिर के 100 बर्ष के इतिहास में अपने परिवार और कैरियर को ताख पर रखकर अपने लाखौं रूपये के नौकरी और एस्कॉर्ट्स जैसी संस्थाको छोड़कर आपके संसदीय क्षेत्र में हृदयरोग विभाग में एंजियोप्लास्टी की शुरुआत कर उसकी खोई हुई मान सम्मान और प्रतिष्ठा को वापिस लाने में सफल होताहै ,उसका रिवॉर्ड उनको शाजिश रचकर ससपेंड करके दिया जाता है क्योंकि वो गरीबो के लिए यहाँ एम्स की स्थापना करवाना चाहता है, ताकि कोई भी गरीब पैसौं के आभाव में कैंसर हार्ट तथा किडनी जैसी गंभीर बिमारियों के कारण अपना जान न गवाए और काशी की माँ -बहनों की सिन्दूर की रक्षा हो पाये???कब जागेगा हमारा समाज और कब समझ आएगा यहाँ के जिम्मेदार अधिकारीयों को एक छोटी सी बात की काशी की जनता आज एक्सीडेंटल ट्रामा से नहीं मर रहा है बल्कि मानसिक ट्रामा से मर रहाहै कि एक तरफ बी0एच0यू0 अस्पताल से प्रतिदिन लोगों को बिस्तर न रहने के कारण जिला अस्पताल भेज दिया जाता वहीँ आप इस इंस्टिट्यूशन को एम्स के बराबर उच्चीकृत करने के लिए आये पैसौं से बनी ईमारत को ट्रामा सेंटर के नाम पर 400 bed को बर्बाद करने पे तुले हैं??? काशी की जनता को आज एम्स की जरुरत है न ट्रामा सेंटर की क्योंकि??????पंडित दीन दयाल अस्पताल में पहले से ही 50 bed का ट्रामा सेंटर बनकर तैयार है।एम्स दिल्ली में सिर्फ 150 bed का ट्रामा सेंटर पुरे देश को देखने में अब तक सक्षम है।क्योंकि यहाँ की लाखौं गरीब जनता रोज कैंसर हार्ट और किडनी की बीमारी से पैसौं के आभाव में अपनी जान गांव रही है।क्योंकि यहाँ कुछ ही समय में और कम से कम लगत में सफल एम्स बनाना संभव है।और एम्स जब बी0 एच0 यू0 का अभिन्न अंग होगा तो न सिर्फ महामना का सम्मानबढ़ेगा बल्कि बी0एच0यु0 पहले से ज्यादा शश्क्त और बृहद बनेगा,यहाँ के छात्र,शिक्षक और कर्मचारियों को अपने घर में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध हो जायेगीजोकि एम्स बहार कही और बनने पर संभव नहीं हो पायेगा।कृपया इसको इतना शेयर करें की ये बात प्रधानमंत्री महोदय तक पहुँच जाये और काशी तथा पूर्वांचल जी जनता के लिए अच्छे दिन आ जाएँ।plz share...

 

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