अगर बनारस में एम्स होगा तो कितने ही मासूमों की जान रोज बचाए जा सकती है।कब तक इस तरह से काशी तथा आसपास के 25 करोड़ गरीब और निराश्रित अपने जिगर के टुकरौं को खोकर आँशु बहाते रहेंगे???कब तक सरकारी मदद के इंतज़ार में अपने माँ ,बहन, बेटे -बेटी ,भाइयों और अपने पिता को खोते रहेंगे??आखिर कौन है इन मासूमों का हत्यारा???समाज जो की अपने स्वास्थ के अधिकार को तभी जान पाती जब अपने पर बीतती है???या फिर हमारा सरकारी तंत्र जिनको स्वास्थ की महत्ता ही समझ नहीं आती क्योंकि पैसौं के आभाव में मरनेवाला कोई उनका सागा नहीं होता???कितने शर्म की बात है की एक इंसान जिसने महामना के मंदिर के 100 बर्ष के इतिहास में अपने परिवार और कैरियर को ताख पर रखकर अपने लाखौं रूपये के नौकरी और एस्कॉर्ट्स जैसी संस्थाको छोड़कर आपके संसदीय क्षेत्र में हृदयरोग विभाग में एंजियोप्लास्टी की शुरुआत कर उसकी खोई हुई मान सम्मान और प्रतिष्ठा को वापिस लाने में सफल होताहै ,उसका रिवॉर्ड उनको शाजिश रचकर ससपेंड करके दिया जाता है क्योंकि वो गरीबो के लिए यहाँ एम्स की स्थापना करवाना चाहता है, ताकि कोई भी गरीब पैसौं के आभाव में कैंसर हार्ट तथा किडनी जैसी गंभीर बिमारियों के कारण अपना जान न गवाए और काशी की माँ -बहनों की सिन्दूर की रक्षा हो पाये???कब जागेगा हमारा समाज और कब समझ आएगा यहाँ के जिम्मेदार अधिकारीयों को एक छोटी सी बात की काशी की जनता आज एक्सीडेंटल ट्रामा से नहीं मर रहा है बल्कि मानसिक ट्रामा से मर रहाहै कि एक तरफ बी0एच0यू0 अस्पताल से प्रतिदिन लोगों को बिस्तर न रहने के कारण जिला अस्पताल भेज दिया जाता वहीँ आप इस इंस्टिट्यूशन को एम्स के बराबर उच्चीकृत करने के लिए आये पैसौं से बनी ईमारत को ट्रामा सेंटर के नाम पर 400 bed को बर्बाद करने पे तुले हैं??? काशी की जनता को आज एम्स की जरुरत है न ट्रामा सेंटर की क्योंकि??????पंडित दीन दयाल अस्पताल में पहले से ही 50 bed का ट्रामा सेंटर बनकर तैयार है।एम्स दिल्ली में सिर्फ 150 bed का ट्रामा सेंटर पुरे देश को देखने में अब तक सक्षम है।क्योंकि यहाँ की लाखौं गरीब जनता रोज कैंसर हार्ट और किडनी की बीमारी से पैसौं के आभाव में अपनी जान गांव रही है।क्योंकि यहाँ कुछ ही समय में और कम से कम लगत में सफल एम्स बनाना संभव है।और एम्स जब बी0 एच0 यू0 का अभिन्न अंग होगा तो न सिर्फ महामना का सम्मानबढ़ेगा बल्कि बी0एच0यु0 पहले से ज्यादा शश्क्त और बृहद बनेगा,यहाँ के छात्र,शिक्षक और कर्मचारियों को अपने घर में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध हो जायेगीजोकि एम्स बहार कही और बनने पर संभव नहीं हो पायेगा।कृपया इसको इतना शेयर करें की ये बात प्रधानमंत्री महोदय तक पहुँच जाये और काशी तथा पूर्वांचल जी जनता के लिए अच्छे दिन आ जाएँ।plz share...
Wednesday, May 20, 2015
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अगर बनारस में एम्स होगा तो कितने ही मासूमों की जान रोज बचाए जा सकती है।कब तक इस तरह से काशी तथा आसपास के 25 करोड़ गरीब और निराश्रित अपने जिगर के टुकरौं को खोकर आँशु बहाते रहेंगे???कब तक सरकारी मदद के इंतज़ार में अपने माँ ,बहन, बेटे -बेटी ,भाइयों और अपने पिता को खोते रहेंगे??आखिर कौन है इन मासूमों का हत्यारा???समाज जो की अपने स्वास्थ के अधिकार को तभी जान पाती जब अपने पर बीतती है???या फिर हमारा सरकारी तंत्र जिनको स्वास्थ की महत्ता ही समझ नहीं आती क्योंकि पैसौं के आभाव में मरनेवाला कोई उनका सागा नहीं होता???कितने शर्म की बात है की एक इंसान जिसने महामना के मंदिर के 100 बर्ष के इतिहास में अपने परिवार और कैरियर को ताख पर रखकर अपने लाखौं रूपये के नौकरी और एस्कॉर्ट्स जैसी संस्थाको छोड़कर आपके संसदीय क्षेत्र में हृदयरोग विभाग में एंजियोप्लास्टी की शुरुआत कर उसकी खोई हुई मान सम्मान और प्रतिष्ठा को वापिस लाने में सफल होताहै ,उसका रिवॉर्ड उनको शाजिश रचकर ससपेंड करके दिया जाता है क्योंकि वो गरीबो के लिए यहाँ एम्स की स्थापना करवाना चाहता है, ताकि कोई भी गरीब पैसौं के आभाव में कैंसर हार्ट तथा किडनी जैसी गंभीर बिमारियों के कारण अपना जान न गवाए और काशी की माँ -बहनों की सिन्दूर की रक्षा हो पाये???कब जागेगा हमारा समाज और कब समझ आएगा यहाँ के जिम्मेदार अधिकारीयों को एक छोटी सी बात की काशी की जनता आज एक्सीडेंटल ट्रामा से नहीं मर रहा है बल्कि मानसिक ट्रामा से मर रहाहै कि एक तरफ बी0एच0यू0 अस्पताल से प्रतिदिन लोगों को बिस्तर न रहने के कारण जिला अस्पताल भेज दिया जाता वहीँ आप इस इंस्टिट्यूशन को एम्स के बराबर उच्चीकृत करने के लिए आये पैसौं से बनी ईमारत को ट्रामा सेंटर के नाम पर 400 bed को बर्बाद करने पे तुले हैं??? काशी की जनता को आज एम्स की जरुरत है न ट्रामा सेंटर की क्योंकि??????पंडित दीन दयाल अस्पताल में पहले से ही 50 bed का ट्रामा सेंटर बनकर तैयार है।एम्स दिल्ली में सिर्फ 150 bed का ट्रामा सेंटर पुरे देश को देखने में अब तक सक्षम है।क्योंकि यहाँ की लाखौं गरीब जनता रोज कैंसर हार्ट और किडनी की बीमारी से पैसौं के आभाव में अपनी जान गांव रही है।क्योंकि यहाँ कुछ ही समय में और कम से कम लगत में सफल एम्स बनाना संभव है।और एम्स जब बी0 एच0 यू0 का अभिन्न अंग होगा तो न सिर्फ महामना का सम्मानबढ़ेगा बल्कि बी0एच0यु0 पहले से ज्यादा शश्क्त और बृहद बनेगा,यहाँ के छात्र,शिक्षक और कर्मचारियों को अपने घर में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध हो जायेगीजोकि एम्स बहार कही और बनने पर संभव नहीं हो पायेगा।कृपया इसको इतना शेयर करें की ये बात प्रधानमंत्री महोदय तक पहुँच जाये और काशी तथा पूर्वांचल जी जनता के लिए अच्छे दिन आ जाएँ।plz share...
अगर बनारस में एम्स होगा
अगर बनारस में एम्स होगा तो कितने ही मासूमों की जान रोज बचाए जा सकती है।कब तक इस तरह से काशी तथा आसपास के 25 करोड़ गरीब और निराश्रित अपने जिगर के टुकरौं को खोकर आँशु बहाते रहेंगे???कब तक सरकारी मदद के इंतज़ार में अपने माँ ,बहन, बेटे -बेटी ,भाइयों और अपने पिता को खोते रहेंगे??आखिर कौन है इन मासूमों का हत्यारा???समाज जो की अपने स्वास्थ के अधिकार को तभी जान पाती जब अपने पर बीतती है???या फिर हमारा सरकारी तंत्र जिनको स्वास्थ की महत्ता ही समझ नहीं आती क्योंकि पैसौं के आभाव में मरनेवाला कोई उनका सागा नहीं होता???कितने शर्म की बात है की एक इंसान जिसने महामना के मंदिर के 100 बर्ष के इतिहास में अपने परिवार और कैरियर को ताख पर रखकर अपने लाखौं रूपये के नौकरी और एस्कॉर्ट्स जैसी संस्थाको छोड़कर आपके संसदीय क्षेत्र में हृदयरोग विभाग में एंजियोप्लास्टी की शुरुआत कर उसकी खोई हुई मान सम्मान और प्रतिष्ठा को वापिस लाने में सफल होताहै ,उसका रिवॉर्ड उनको शाजिश रचकर ससपेंड करके दिया जाता है क्योंकि वो गरीबो के लिए यहाँ एम्स की स्थापना करवाना चाहता है, ताकि कोई भी गरीब पैसौं के आभाव में कैंसर हार्ट तथा किडनी जैसी गंभीर बिमारियों के कारण अपना जान न गवाए और काशी की माँ -बहनों की सिन्दूर की रक्षा हो पाये???कब जागेगा हमारा समाज और कब समझ आएगा यहाँ के जिम्मेदार अधिकारीयों को एक छोटी सी बात की काशी की जनता आज एक्सीडेंटल ट्रामा से नहीं मर रहा है बल्कि मानसिक ट्रामा से मर रहाहै कि एक तरफ बी0एच0यू0 अस्पताल से प्रतिदिन लोगों को बिस्तर न रहने के कारण जिला अस्पताल भेज दिया जाता वहीँ आप इस इंस्टिट्यूशन को एम्स के बराबर उच्चीकृत करने के लिए आये पैसौं से बनी ईमारत को ट्रामा सेंटर के नाम पर 400 bed को बर्बाद करने पे तुले हैं??? काशी की जनता को आज एम्स की जरुरत है न ट्रामा सेंटर की क्योंकि??????पंडित दीन दयाल अस्पताल में पहले से ही 50 bed का ट्रामा सेंटर बनकर तैयार है।एम्स दिल्ली में सिर्फ 150 bed का ट्रामा सेंटर पुरे देश को देखने में अब तक सक्षम है।क्योंकि यहाँ की लाखौं गरीब जनता रोज कैंसर हार्ट और किडनी की बीमारी से पैसौं के आभाव में अपनी जान गांव रही है।क्योंकि यहाँ कुछ ही समय में और कम से कम लगत में सफल एम्स बनाना संभव है।और एम्स जब बी0 एच0 यू0 का अभिन्न अंग होगा तो न सिर्फ महामना का सम्मानबढ़ेगा बल्कि बी0एच0यु0 पहले से ज्यादा शश्क्त और बृहद बनेगा,यहाँ के छात्र,शिक्षक और कर्मचारियों को अपने घर में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध हो जायेगीजोकि एम्स बहार कही और बनने पर संभव नहीं हो पायेगा।कृपया इसको इतना शेयर करें की ये बात प्रधानमंत्री महोदय तक पहुँच जाये और काशी तथा पूर्वांचल जी जनता के लिए अच्छे दिन आ जाएँ।plz share...
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