प्रधानमंत्री महोदय के नाम खुला पत्र-
सेवा में,
प्रधानमंत्री महोदय!
भारत सरकार, नई दिल्ली।
विषय : 2014 जून के केंद्रीय बजट में पूर्वांचल के लिए घोषित नए एम्स का निर्माण काशी में ही, (बी0 एच0 यू0 से अलग), राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे जल्द से जल्द शुरू करवाने के सम्बन्ध में निवेदन।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि बनारस दुनिया में सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक होने के साथ-साथ हमारे देश की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर भी जानी जाती है।परंतु हमलोगों में से कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि काशी अनादिकाल से ही चिकित्सा जगत के जनक के तौर पर भी इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है।
यही वो शहर है जहां पर पूरी दुनिया में पहली बार भगवान धनवंतरी द्वारा चिकित्सा जगत का अविष्कार किया गया था, जिसको महर्षि देवदास ,चरक तथा सुश्रुत ने बाद में आगे बढाया। यहाँ तक कि विदेशियों ने भी शल्य चिकित्सा का ज्ञान और दक्षता यहीं से हासिल की थी।
यही नहीं सरकार काशी को ‘वल्र्ड हेरिटेज सिटी’तथा क्योटो शहर की तरह विकसित करना चाहती है जिसके लिए जापान के साथ कई समझौता भी किये गए हैं और इसी सन्दर्भ में अभी जापान के प्रधानमंत्री महोदय एक दिन के काशी प्रवास पर यहाँ आ भी रहे हैं। इस सबके साथ साथ ये आपका संसदीय क्षेत्र भी है महोदय।
साथ ही ये कलकत्ता और दिल्ली के मध्य में स्थित एक ऐसा शहर है जो मध्य प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बिहार, पूर्वांचल, दक्षिणांचल ,उत्तरांचल,बुंदेलखंड तथा नेपाल सभी से लगभग समानान्तर दूरी पर स्थित हैं।और जो चारो तरफ से सड़क मार्ग, रेलमार्ग तथा हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। पिछले वित्तीय वर्ष में दो हजार करोड़ से भी ज्यादा धनराशि प्रयाग से हल्दिया वाया वाराणसी को जलमार्ग से जोड़ने के लिए दिया गया था जिसकी अब शुरुआत भी होने वाली है।
महोदय! काशी को अगर पुरे दुनियां के सुंदरतम शहरों में विकशित करना है तो यहाँ की स्वास्थ सेवाओं को भी सर्वोत्तम बनाने की अत्यंत ही आवश्यकता है।
वर्तमान में यहाँ सरसुन्दर लाल चिकित्सालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ही एक मात्र ऐसा अस्पताल मौजूद है, जो इस क्षेत्र के लगभग २५ करोड़ गरीब तथा अति गरीब जनता के लिये स्वास्थ्य का एकमात्र जरिया है।
यहाँ हर वर्ष लगभग १0 से 15 लाख बीमार मरीज ईलाज कराने आते हैं,लेकिन दुःख की बात यह है कि यहाँ भी प्रयाप्त सुविधाएँ नहीं होने के कारण उनलोगों को मायूस होकर अतिविशिष्ठ इलाज के लिए लखनऊ,दिल्ली,तथा मुम्बई जैसे बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है जिनमे से कई तो रस्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
अगर हम विश्व स्वास्थ्य संगठन की सर्वेक्षण रिपोर्ट २००८ को देखें तो पूरे दुनियां में लगभग १० करोड़ लोग प्रति वर्ष इसलिए गरीब हो जाते हैं क्योंकि वो या उनके परिवार के कोई सदस्य किसी न किसी गम्भीर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं।
इससे यह साबित होता है की इस देश का समग्र विकाश तब तक संभव नहीं है जबतक कि स्वास्थ को सबसे अहम् मुद्दा मानकर इसपर सकारात्मक पहल की जाये।
जून 2014 के बजट में वित्तमंत्री महोदय ने चार नये एम्स खोलने की घोषणा की थी, जिसमें से एक एम्स पूर्वांचल में भी खोला जाना था जिस दिशा में अभी तक जमीन पर कोई कार्यवाही नहीं हो पायी हैI
‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) एक ऐसा अस्पताल होता है जिसमें सभी तरह की बीमारियों का अतिविशिष्ट उपचार उपलब्ध होता है और इसके साथ - साथ वहां पर अच्छी पढ़ाई-लिखाई और अन्वेषण की भी सुविधायें
उपलब्ध होती है।
ऐसा अस्पताल किसी एक बीमारी के इलाज को ध्यान में रखकर नही खोला जा सकता, जैसा की कुछ लोग गोरखपुर में एम्स के निर्माण के विषय में झूठी दलील दे रहे हैं।
यही नहीं संक्रमण से फैलेवाले बिमारियों पर काबूपाने के लिए, रोकथाम तथा टीकाकरण की जरुरत होती है नाकि नए अस्पताल खोलने। इस तथ्य की प्रमाणिकता अभी हाल ही में दिल्ली में फैले डेंगू के महामारी के सन्दर्भ में देखने को मिला।
दिल्ली में एम्स सहित इतने सारे अस्पताल होने के बावजूद भी इस महामारी को नहीं रोका जा सका, तो फिर डेंगू की तरह ही मच्छर के काटने से फैलनेवाले दिमागी ज्वर (Japanese encephalitis) को कैसे एक एम्स बनाकर गोरखपुर में काबू किया जा सकेगा?
वहां पर जिस चीज की जरुरत है वो है समाज में जागरूकता लाकर तथा DDT का छिड़काव करके मच्छर पर काबू पाने की तथा सभी बच्चों को दिमागी ज्वर से रोकथाम के लिए आवश्यक टीकाकरण करवाने की।
इन सबके बावजूद जो बच्चे इस रोग से ग्रसित हो जाये उसके समुचित इलाज के लिए गोरखपुर अथवा आसपास में कहीं पर 500 बेड का जापानी मष्तिष्क ज्वर के लिए एक नए अस्पताल खुलवाने की, जिससे हमारे सिमित संसाधनों का सही उपयोग हो पाये।
यही नहीं गोरखपुर एक कोने में बसा, छोटा सा शहर होने के कारण वहाँ पर एम्स खुलने की स्थिति में मुश्किल से 50 लाख लोगों को फायदा पहुंचेगा (जबकि वाराणसी में खुलने पर 25 करोड़ जनता को सीधे तौर पर फायदा पहुंचेगा), क्योंकि मध्यप्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, बुंदेलखंड, उत्तरांचल और काशी के लोग गोरखपुर इलाज के लिए जाने की बजाय, दिल्ली और लखनऊ जाना ज्यादा पसंद करेंगे।
ये काशी वाशियों के लिए भी शर्म की बात होगी कि सांसद प्रधानमंत्री होते हुए भी यहाँ की गरीब जनता को अपने समुचित इलाज के लिए आनेवाले भविष्य में भी दर-बदर भटकना पड़ेगा।
अतः अगर हम उपरोक्त बातों पर ध्यान देते हुए बिना किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर सोचें तो, पूर्वांचल में काशी से बेहतर एम्स के लिए कोई और सार्थक तथा स्वाभाविक विकल्प नज़र नहीं आता।
भारतीय जनता पार्टी भारतवर्ष में मूल्यों तथा विचारों को बर्बाद होने से बचाने के लिये हमेशा ही तत्पर रही है। इसीलिए हमारा माननीय प्रधानमंत्री महोदयजी आपसे विन्रम निवेदन है कि जिस तरह भगवान राम का मंदिर वहीँ बनना चाहिये जहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था , ठीक उसी तरह क्यों नहीं भगवान धन्वन्तरी,चरक, देवदास,तथा सुश्रुत का मंदिर यानि "अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान" भी वहां ही बनाना चाहिये जहां पर चिकित्सा विज्ञान का अविष्कार हुआ था???
इससे ना सिर्फ भगवान धन्वन्तरी ,चरक तथा सुश्रुत का सम्मान होगा बल्कि हमारे संस्कृति का भी सम्मान होगा।
डॉ ओम शंकर,
असिस्टेंट प्रोफेसर,
डिपार्टमेंट ऑफ़ कार्डियोलॉजी,
का0 हि0 वि0 वि0,
वाराणसी।