कशी मांगे एम्स
एम्स से कम कुछ भी मंजूर नहीं
एम्स से कम कुछ भी मंजूर नहीं
आज कल एक साजिस रची जा रही है
काशी में एम्स के मांग को दबाने के लिए।
काशी में एम्स के मांग को दबाने के लिए।
वो है एक बार ग्रांट्स।
ये वैसी ही मांग है जैसे कि हम अपने लिए कहीं से धन इकठ्ठा करके एरोप्लेन खरीद लें परंतु उसमे डालने को ईंधन हमारे पास हो ही नहीं तो ऐसा एरोप्लेन किस काम आएगा शिवाय दिखावे के???
ठीक ऐसी ही सोच ट्रामा सेंटर के निर्माण के समय भी आगे बढ़ाई गयी की ONE TIME ग्रांट्स ले ली जाये फिर आगे वो चलेगा कैसे इसकी उनको कोई फ़िक्र नहीं थी।
और उसी गलती को पुनः दोहराने की कोशिश की जा रही है ONE TIME ग्रांट्स के नाम पर काशी में एम्स की स्थापन की मांग को कुचलने के लिए।
मित्रो!
बी0 एच0 यू0 में एम्स की स्थापना, एम्स एक्ट में थोड़े क़ानूनी संशोधनों के बाद, ही एक मात्र ऐसा विकल्प है जिससे यहाँ की बेपटरी पर चल रही स्वास्थ सेवाओं के स्तर को बेहतर किया जा सकता है।
मित्रो!
बी0 एच0 यू0 में एम्स की स्थापना, एम्स एक्ट में थोड़े क़ानूनी संशोधनों के बाद, ही एक मात्र ऐसा विकल्प है जिससे यहाँ की बेपटरी पर चल रही स्वास्थ सेवाओं के स्तर को बेहतर किया जा सकता है।
क्योंकि इससे रीकरिंग ग्रांट्स प्रतिवर्ष आएंगे और ऐसा एम्स बन्ने के बाद लगातार सुविधाएँ प्रदान करने में सक्षम होगा।
ONE टाइम ग्रांट्स से "अपग्रेडेड टू एम्स " नाम तो दिया जा सकता परंतु प्रति वर्ष चलाने के लिए धन के आभाव में सेवा का विस्तार नहीं हो पायेगा।
इसकी स्थिति वैसी ही होगी जैसे की हाथी खरीदकर अगर उसके लिए खाना का प्रबंध न किया जाये तो वो हाथी कुछ समय बाद मर जायेगा।
प्रधानमंत्री महोदय हमारे सांसद हैं जो बिहार के जनता को जितना चाहो धन मांग लो अपने विकास के लिए का विकल्प देते हैं तो बी0 अच्0 यू 0 प्रशासन को धन मांगने और एम्स मांगने में संकोच किस बात की????
जबकि इस विश्वविद्यालय का निर्माण ही भीख मांगकर इनके संस्थापक महामना द्वारा किया गया था।
अगर उनकी सोच ऐसी रही होती तो क्या आज यहाँ इतना सूंदर विश्वविद्यालय होता????
जहाँ तक एम्स एक्ट 1956 का सवाल है जिसके तहत की एम्स दिल्ली का निर्माण हुआ था उसके मुताबिक भी डेल्ही यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर एम्स डेल्ही के स्थायी सदस्य होते हैं तो बी0 एच0 यू0 वाराणसी में बनने वाला एम्स कैसे बी0 एच0 यू0 से अलग हो जायेगा????
इसलिए हमें लगता है की गन्दी राजनीती को त्यागकर हम सभी लोगों को काशी और आस पास के गरीबों के स्वास्थ के अधिकार को ध्यान में रखते हुए यहाँ पर "एम्स से कम कुछ भी नहीं" की मांग अपने सांसद प्रतिनिधि अवं प्रधानमंत्री के समक्ष ईमानदारी से रखनी चाहिए।
और हमें पूरा विस्वास है की प्रधानमंत्री महोदय ऐसे नेक कार्य में कभी भी न नहीं करेंगे अगर पूरा सच उनके सामने रक्खा जाये तो ???
क्योंकि वो प्रधानमंत्री होने के साथ साथ हमारे जनप्रतिनिधि भी तो हैं।
काशी मांगे एम्स!
एम्स से कम कुछ भी मंजूर नहीं।
एम्स से कम कुछ भी मंजूर नहीं।
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